Diwali festival 2020


  • Is it right to celebrate Diwali
क्यो ओर कैसे मनाते है दिवाली का त्यौहार
--:--
हम दिपावली श्रीराम जी के वनवास से लौटने की खुशी मे मनाई जाती है ।
मंथरा के गलत विचारों से पीडित होकर भरत की माता कैकेई श्रीराम को उनके पिता दशरथ से वनवास भेजने के लिए वचनबद्ध कर देती है। ऐसे श्रीराम अपने पिता के आदेश को सम्मान मानते हुए माता सीता और भाई लक्ष्मण के साथ 14  वर्ष के वनवास के लिए निकल पड़ते है ।
Diwali
वही वन में रावण माता सीता का छल से अपहरण कर लेता है। राम जी ने हनुमानजी द्वारा संधि प्रस्ताव भेज कर सीता जी को लौटाने को कहा था परंतु दुष्ट रावण न माना! तब राम जी ने वानर सेना कि मदद और मुनिंदर ऋषि जी के आशीर्वाद से रावण को युद्ध में मारकर सीता जी को जीता था।
सीता की अग्निपरिक्षा ली थी जिसमे सीता जी पास हुई थी ।
यह त्रेतायुग की बात हे जब राम जी सीता जी की परीक्षा लेकर अयोध्या लौटे थे । तब वह दोनो चौदह बरस का वनवास भोग चुके थै। अयोध्या मे उनके लौटने पर खुशी कि लहर दौड पडी कि अयोध्या नगरी को अब उनका नरेश वापस मिलेगा ।
उनके घर लौटने की खुशी मे नगरी को दिपो की रोशनी मे जगमगा दिया गया था।

Name of Deepawali Ram

राम और सीता का जीवन सदा दुखो से भरा रहा।
राम भगवान होते हुए भी यह न जान पाए कि सीता कहा चली गई या उसे किसी ने उठा तो नही लिया ? सीता को रावण की कैद से छुडाने में कई करोड़ो सैनिक रावण के एक लाख पुत्र और सवा लाख रिश्तेदार भी मारें गये थें।
  • मनमानी पूजा शास्त्र विरुद्ध है
सीता जी को निकालने के बाद अयोध्या को कभी भी दिए जला कर रोशन नहीं किया गया था। जब वह लौटे थे तो बम, फुलझड़ी, राकेट बम, अनार इत्यादि भी नहीं जलाए गए थे। न तो उपहारों का आदान-प्रदान किया गया था। वर्तमान समाज के लोग अपनी मनमानी पूजा कर रहे हैं। नकली दिवाली की खुशी का दावा ठोकते ठोकते समाज को उसने बीमारियों का घर बना दिया है। प्रतिवर्ष दिवाली पर जलाए जाने वाले बम पटाखे जानलेवा धुंआ उत्पन्न करते हैं जिससे बच्चों, बूढों और जवानों को दमे और सांस की घुटन जैसी बीमारियां हो जाती हैं। रावण का पुतला कभी नहीं जलाया गया था। फिर यह प्रतिवर्ष दिवाली मनाने और रावण फूंकने जैसी गलत परंपरा कहां से आई। हमारी भक्ति का आधार गीता, वेद, पुराण, ग्रंथ और शास्त्र होने चाहिए। किसी भी ग्रंथ में दिवाली और रावण दहन करना चाहिए, नहीं लिखा है। दिवाली वाले दिन आकाश में केवल धुंआ ही धुआं दिखाई देता है।

Real diwali
  • तो लोग दिवाली क्यों मना रहे हैं?
कार्तिक अमावस्या की वह काली रात अयोध्या के लिए खुशी का एकमात्र दिन था जब राम जी सीता माता संग अयोध्या लौटे थे। इसे त्यौहार का रूप रंग राम-सीता और अयोध्या वासियों ने नहीं दिया। दीवाली या अन्य कोई भी त्यौहार जो आज वर्तमान में मनाएं जा रहे हैं इनका लेना देना गीता, वेदों और अन्य ग्रंथों से नहीं हैं। यह सत्य कथा अवश्य है परंतु इसे त्यौहार रूप में मनाने से कोई लाभ नहीं। यह केवल मनोरंजन मात्र और यादगार के तौर पर मनाए जा रहे हैं। सच तो यह है कि राम जी और सीता का मिलन श्रापवश संभव ही नहीं था। राम जी सीता जी से मिलना चाहते थे परंतु सीता उनका मुख भी देखना नहीं चाहती थीं जिस कारण सीता धरती की गोद में समा गई और अंत में पश्चातापवश राम जी ने सरयू नदी में जल समाधि ली ।
  • सत भक्ति ही जीवन का सार हैं।।
•◆•◆•◆•◆•◆•
राम जी जो विष्णु जी के अवतार हैं, यह सतगुण हैं। इनका कार्य जीव को सदा माया और मोह में उलझाए रखना है। इनके चक्रव्यूह से वही बाहर निकल सकता है जो सतभक्ति करता है जो कबीर जी को पहचानता है और काल को जान जाता है।
Real diwali

यदि भगवान से लाभ लेना है तो उसकी विधि न्यारी और सीधी है, तत्वज्ञान प्राप्त करना और तत्वदर्शी संत की शरण में जाना। अवश्य पढ़ें पुस्तक “ज्ञान गंगा”।
परमेश्वर कबीर जी ने कहा है कि :-
तीन देव की जो करते भक्ति। उनकी कबहु ना होवै मुक्ति।।
भावार्थ :- परमेश्वर कबीर जी ने कहा है कि जो साधक भूलवश तीनों देवताओं रजगुण ब्रह्मा, सतगुण विष्णु, तमगुण शिव की भक्ति करते हैं, उनकी कभी मुक्ति नहीं हो सकती। यही प्रमाण श्रीमद्भगवत गीता अध्याय 7 श्लोक 12 से 15 तथा 20 से 23 में भी है
असली दिवाली प्रत्येक मनुष्य को मनानी चाहिए क्योंकि कबीर साहेब जी संत रामपाल जी महाराज रूप में पृथ्वी पर उपस्थित हैं।
परमात्मा की सतभक्ति करने वालों के घर रोज़ सतभक्ति की दिवाली मनाई जाती है। इस दिवाली सपरिवार सत्संग देखिए साधना चैनल पर सांय 7:30-8:30 pm पर।

ये है वास्तविक दिवाली  लिंक पर क्लिक करे ओर जाने
 https://youtu.be/x8b4ZDc81JI

इन वेबसाइट पर जाये ओर भी जाने जानकारी 

Comments

Popular posts from this blog

Guru: Lord

Advantages & Disadvantages of Mobile