galat Bhakti aur Nastik

नास्तिक :-
नास्तिक लोग ईश्वर (भगवान) के अस्तित्व का स्पष्ट प्रमाण न होने कारण झूठ करार देते हैं। अधिकांश नास्तिक किसी भी देवी देवता, परालौकिक शक्ति, धर्म और आत्मा को नहीं मानते। हिन्दू दर्शन में नास्तिक शब्द उनके लिये भी प्रयुक्त होता है जो वेदों को मान्यता नहीं देते। नास्तिक मानने के स्थान पर जानने पर विश्वास करते हैं।
 वहीं आस्तिक किसी न किसी ईश्वर की धारणा को अपने संप्रदाय, जाति, कुल या मत के अनुसार बिना किसी प्रमाणिकता के स्वीकार करता है। नास्तिकता इसे अंधविश्वास कहती है क्योंकि किसी भी दो धर्मों और मतों के ईश्वर की मान्यता एक नहीं होती है।
 नास्तिकता रूढ़िवादी धारणाओं के आधार नहीं बल्कि वास्तविकता और प्रमाण के आधार पर ही ईश्वर को स्वीकार करने का दर्शन है। 
नास्तिकता के लिए ईश्वर की सत्ता को स्वीकार करने के लिए अभी तक के सभी तर्क और प्रमाण अपर्याप्त है।
नीचे दि गई कवीता मे कुछ एसे शब्द हे जो अंध भक्ति को दर्शाता है
छोटी सी कवीता :-

मंदिर देखा मस्जिद देखा
देखा हर गल्ली मोहल्ला
ना भगवान दिखा ना अल्ला
ना भगवान दिखा ना अल्ला

बह रहा था दूध कहाँ
चदर कही बिछा था
घी से भरी रोटी पड़ी थी
बाहर भूखा, रोता बच्चा था
बाहर भीक माँगती भिकारन
अंदर, बिना माँगे भरा गल्ला !

देखा हर गल्ली मोहल्ला
ना भगवान दिखा ना अल्ला

दर्शन करने गया हुआ
चंदा ही दे रहा था
नाम था सिर्फ रब का
बाकी,                                                                   धंदा ही हो रहा था
सालों साल भगत रो रहा,
पुजारी मार रहा था डल्ला !

देखा हर गल्ली मोहल्ला
ना भगवान दिखा ना अल्ला
?

गलत भक्ति को त्यागो भक्ति  अपनाओ

सतभक्ति करने का उद्देश्य, और सतभक्ति से क्या लाभ होते है । किस उद्देश्य से नाम लेकर सतभगति करनी  चाहिए ? सतभगति का मूल लाभ क्या है ?

Q•:- सत भक्ति करने से क्या लाभ होता है?

Ans•:- सत भक्ति करने से निम्न लाभ होते है-

◆ मोक्ष प्राप्त होता है

◆सभी दुख दूर हो जाते हैं

◆ सभी प्रकार का नशा दूर हो जाता है

◆ केंसर जैसी खतरनाक बीमारी भी ठीक हो जाती है

◆ और भी बहुत से लाभ होते हैं

लोग आजकल ज्यादा तर नास्तिक हो रहे है उसका कारण है कि गलत भक्ति करने के से कोई सुख प्राप्त नही हुआ लेकिन अभी भी वक्त है सतभक्ति समझो क्योंकि:-
सत भक्ति करने से ही सूख शांति मिल सकती है और संत रामपाल जी महाराज ही वो सत भक्ति बता रहे है तो आज ही संत रामपाल जी महाराज की सरण ग्रहण कीजिए जिन्हे शांति से रहना है तो
नास्तिक होने का कारण सही गुरू की पहचान न होना सत्सगं सुनै मनुष्य तो ज्ञान होगा अज्ञानता खत्म होगी नास्तिकता भी खत्म नास्तिक होने का मुख्य कारण यह रहा कि जिन झूठे गुरुओं ने नाम दिया, न तो वे नाम सही थे और न ही उनके पास नाम देने का अधिकार था इसलिए साधकों को कोई लाभ नहीं हुए
कबीर परमात्मा कहते है
भक्ति( शास्त्र अनुसार साधना) बिना कहा ठौर है ये भर्म रहा संसार रति कंचन पाया नही ये रावण चलती वार।।
सब कहते हैं कि परमात्मा सुखदेने वाला है फिर भी दुःखी रहते हैं, जब शरण कविर्देव की मिली तब समझ आई की सही भक्ति से ही परमात्मा से सभी सुख मिलते हैं 


:-यदि आप  भगति  करते  करते  भी किसी बीमारी  से पीड़ित  है तो इसका  मतलब  है की आपकी  भगति गलत  है संत रामपाल जी महाराज द्वारा दी  गयी  भगती कीजिये  और सब  कष्टों  का निवारण  कीजिये

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