Paryavaran Ke nuksan

पर्यावरण प्रदूषण

हमारा पर्यावरण धरती पर स्वस्थ जीवन को अस्तित्व में रखने के लिए महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है। फिर भी हमारा पर्यावरण दिन-प्रतिदिन मानव निर्मित तकनीक तथा आधुनिक युग के आधुनिकरण के वजह से नष्ट होता जा रहा है। इसलिए आज हम पर्यावरण प्रदुषण जैसे सबसे बड़े समस्या का सामना कर रहे हैं।

सामाजिक, शारीरिक, आर्थिक, भावनात्मक तथा बौद्धिक रूप से पर्यावरण प्रदुषण हमारे दैनिक जीवन के विभिन्न पहलुओं को प्रभावित कर रहा है। पर्यावरण प्रदुषण वातावरण में विभिन्न प्रकार के बीमारीयों को जन्म देता है, जिसे व्यक्ति जीवन भर झेलता रहता है। यह किसी समुदाय या शहर की समस्या नहीं है बल्कि दुनिया भर की समस्या है तथा इस समस्या का समाधान किसी एक व्यक्ति के प्रयास करने से नहीं होगा। अगर इसका निवारण पूर्ण तरीके से नहीं किया गया तो एक दिन जीवन का अस्तित्व नहीं रहेगा। प्रत्येक आम नागरिक को सरकार द्वारा आयोजित पर्यावरण आन्दोलन में शामिल होना होगा।


हम सभी को अपनी गलती में सुधार करना होगा तथा स्वार्थपरता त्याग कर पर्यावरण को प्रदुषण से सुरक्षित तथा स्वस्थ करना होगा। यह मानना कठिन है, परन्तु सत्य है की प्रत्येक व्यक्ति द्वारा उठाया गया छोटा सकारात्मक कदम बड़ा बदलाव कर सकता है तथा पर्यावरण गिरावट को रोक सकता है। वायु तथा जल प्रदुषण द्वारा विभिन्न प्रकार के रोग तथा विकार का जन्म होता है जो हमारे जीवन को खतरे में डालते हैं।



पृथ्वी पर जीवन बनाए रखने के लिए हमें पर्यावरण के वास्तविकता को बनाए रखना होगा, पूरे ब्रम्हांड में बस पृथ्वी पर ही जीवन है। वर्षों से प्रत्येक वर्ष 05 जून को विश्व पर्यावरण दिवस के रूप में लोगों में जागरूकता फैलाने के लिए तथा साथ ही पर्यावरण स्वच्छता और सुरक्षा के लिए दुनिया भर में मनाया जाता है। पर्यावरण दिवस समारोह के विषय को जानने के लिए, हमारे पर्यावरण को किस प्रकार सुरक्षित रखा जाये तथा हमारे उन सभी बुरी आदतों के बारे में जानने के लिए जिससे पर्यावरण को हानि पहुंचता है, हम सभी को इस मुहिम का हिस्सा बनना चाहिए।


जीवपर पर्यावरण एवं पर्यावरणपर जीव निर्भरहोता है । दोनोंमें से एक का संतुलन बिगड गया, तो उसका परिणाम संपूर्ण सृष्टिचक्रपर होता है । अनिष्ट शक्तियोंद्वारा पर्यावरण के पंचतत्त्व को हानि पहुंचने के कारण मनुष्य के पंचतत्त्वपर भी प्रभाव होकर हमारी स्थूलदेह की क्षमता न्यून होती गई । इस कारण शीघ्र थकान आना, रोग होना, इस प्रकार के स्थूल लक्षण दिखाई देते
प्रकृतिपर मानव अत्याचार करेगा, तो प्रकृति भी उसका बदला लेगी !
‘प्रकृतिपर मानव अत्याचार करेगा, तो प्रकृति भी उसका बदला लेगी । उर्जा का अभाव, अनावृष्टि, अकाल, वांशिक संघर्ष, नैतिक अधःपतन, भीषण रोगों का प्रादुर्भाव तथा अंत में महायुद्ध ! वर्षा कैसे होगी ? मेघ अंतरिक्ष में जमा होकर बरसतें हैं वह केवल वृक्षों के लिए । डॉलर्सपर प्रेम करनेवाले निकृष्ट मनुष्य के लिए कैसे और क्यों मेघ बरसेंगे ?.. कर्मविपाक या कर्मनियम व्यष्टि, समष्टि तथा अखिल विश्व नियंत्रित करता है, यह नियम सर्वत्र अव्याहत एवं, निराबाध है !’

पेड लगाये ज्यादा से ज्यादा
हमे इन सब कि रक्षा करनी चाहिए ओर ये प्रेरणा सिर्फ संत रामपाल जी से हि उनके शिष्यों मे देखा जाता हे 
सृष्टि कि रचना केसे हुई ?
पेड पोधे थे पहले ? 
जीवो को खाने का आदेश था ?
आदि:-


ओर हमारी वेबसाइट पर जाके सतभक्ती के बारे मे ओर जानकारी प्राप्त कर सकते हे ;-

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