Natural disasters

सदीयों से प्राकृतिक आपदाये मनुष्य के अस्तित्व के लिए चुनौती रही है।

जंगलो में आग, बाढ़, हिमस्खलन, भूस्खलन, भूकम्प, ज्वालामुखी, सुनामी, चक्रवाती तूफ़ान, बादल फटने जैसी प्राकृतिक आपदायें बार-बार मनुष्य को चेतावनी देती है। वर्तमान में हम प्राकृतिक संसाधनो का अंधाधुंध इस्तेमाल कर रहे हैं जिससे प्रकृति का संतुलन बिगड़ रहा है।


ये मनुष्य के मनमानी का ही नतीजा है। इन आपदाओं को ‘ईश्वर का प्रकोप या गुस्सा‘ भी कहा जाता है। आज मनुष्य अपने निजी स्वार्थ के लिए वनों, जंगलो, मैदानों, पहाड़ो, खनिज पदार्थो का अंधाधुंध दोहन कर रहा है। उसी के परिणाम स्वरुप प्राकृतिक आपदायें दिन ब दिन बढ़ने लगी है।

जंगलों मे आग
आंधी
बाढ़ और मूसलाधार बारिश
बिजली गिरना
सुखा (अकाल),
महामारी
हिमस्खलन, भूखलन
भूकम्प
ज्वालामुखी
सुनामी 
चक्रवाती तूफ़ान  
बादल फटना  
ओलावृष्टि 

इस तरह की आपदायें कुछ समय के लिए आती है पर बड़ी मात्रा में नुकसान करती है। सभी मकानों, परिसरों, शहरो को नष्ट कर देती है और बड़ी मात्रा में जान-माल का नुकसान होता है। हर कोई इनके सामने बौना साबित होता है

रेल, सड़क, हवाईमार्ग बाधित हो जाता है। वन्य जीव नष्ट हो जाते है, वातावरण प्रदूषित हो जाता है। वन नष्ट हो जाते है, परिस्तिथिकी तंत्र को नुकसान पहुचता है। जिस शहर, देश में भूकंप, बाढ़, सुनामी, तूफ़ान, भूस्खलन जैसी आपदा आती है वहां पर सब कुछ नष्ट हो जाता है।

प्रकृति, एक मां की तरह बिना कुछ मांगे ही, हमारी सभी जरूरतों को पूरा ख्याल रखती है। एक तरीके से प्रकृति हमारी जीवनदायनी है, जो न सिर्फ हमें अपने आंचल में समेटकर , हमें भोजन, पानी , शुद्ध हवा, देती है , बल्कि मुफ्त में ढेर सारे संसाधन उपलब्ध करवाती है, जिसके इस्तेमाल से हमारा जीवन बेहद आसान हो जाता है।
प्रकृति, हमें सुखी एवं स्वस्थ जीवन जीने के लिए एक खूबसूरत और शांत पर्यावरण उपलब्ध करवाती है। कुदरत, न सिर्फ हमें कई तरह के सुंदर फल-फूल, अद्भुत पशु-पक्षी, लाभकारी जड़ी-बूटियां  आदि  उपलब्ध करवाती है, बल्कि यह जंगल, नदियां, पठार, पहाड़, धरती आदि समेत तमाम प्राकृतिक चीजों का लाभ भी देती हैं।


वहीं प्राकृतिक संसाधन के बिना जिंदगी की कल्पना भी नहीं की जा सकती, इसलिए हम सबका कर्तव्य है कि हम अपनी प्रकृति को सहज कर रख सकें और इसको बचाने के लिए प्रयास करें।
लेकिन अफसोस इस बात का है, आज व्यक्ति अपने स्वार्थ के चलते प्रकृति से जमकर खिलवाड़ कर रहा है, जिसके चलते भविष्य में संकट गहरा हो सकता है।

मे नीचे एक छोटी सी कवीता लिखना चाहुगी प्राकृति के बारे मे !!

कहीं बूँद बूँद को तरसते लोग

तो कहीं जल का उमड़ा सैलाब है

प्यासी है धरती कहीं

तो कहीं बादलों की टकराकर है

प्राकृति की क्रोध है यह

मनुष्य की तृष्णा का है कारण



तबाह हो गई है आम जिंदगियाँ

दो वक्त की रोटी को मोहताज है

न सर पे छत है

न है उम्मीद की कोई किरण

हर तरफ हाहाकार ही हाहाकार है

प्राकृति की प्रकोप है यह

प्राकृति की क्रोध है यह।

,,,,,,,,,,


प्रकृति का विनाश क्यो हो रहा इन सब से केसे बचे
अब आगे जाने इन सब आपदाओं से हमे कोन बचा सकता ओर प्रेरणा दिला सकता हे  
संत रामपाल जी महाराज ही इन सब आपदाओं से हमे बचा सकते हे ओर हमारा कल्याण भी हो सकता हे । मात्र सतभक्ती करने से , सच्ची शरण मिलने से, 
मनुष्य जीवन  कल्याण इनकी शरण मे आने से मिलेगा पुर्ण मोक्ष प्राप्ति होगी , वेदो से प्रमाणित ज्ञान बताते हे ये





Comments

Popular posts from this blog

Guru: Lord

Diwali festival 2020

Advantages & Disadvantages of Mobile