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Diwali festival 2020

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Is it right to celebrate Diwali क्यो ओर कैसे  मनाते है दिवाली का त्यौहार --:-- हम दिपावली श्रीराम जी के वनवास से लौटने की खुशी मे मनाई जाती है । मंथरा के गलत विचारों से पीडित होकर भरत की माता कैकेई श्रीराम को उनके पिता दशरथ से वनवास भेजने के लिए वचनबद्ध कर देती है। ऐसे श्रीराम अपने पिता के आदेश को सम्मान मानते हुए माता सीता और भाई लक्ष्मण के साथ 14  वर्ष के वनवास के लिए निकल पड़ते है । Diwali वही वन में रावण माता सीता का छल से अपहरण कर लेता है। राम जी ने हनुमानजी द्वारा संधि प्रस्ताव भेज कर सीता जी को लौटाने को कहा था परंतु दुष्ट रावण न माना! तब राम जी ने वानर सेना कि मदद और मुनिंदर ऋषि जी के आशीर्वाद से रावण को युद्ध में मारकर सीता जी को जीता था। सीता की अग्निपरिक्षा ली थी जिसमे सीता जी पास हुई थी । यह त्रेतायुग की बात हे जब राम जी सीता जी की परीक्षा लेकर अयोध्या लौटे थे । तब वह दोनो चौदह बरस का वनवास भोग चुके थै। अयोध्या मे उनके लौटने पर खुशी कि लहर दौड पडी कि अयोध्या नगरी को अब उनका नरेश वापस मिलेगा । उनके घर लौटने की खुशी मे नगरी को दिपो की रोशनी मे जगमगा दिया

Bollywood

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1. बॉलीवुड कितना ठीक है। :-  बॉलीवुड एक ऐसा स्तर है। जहाँ पर अपनी कलाकारी योग्यता बताने का अवसर प्राप्त होता हे। जिससे अपनी पहचान बना सकते हैं। 2. बॉलीवुड से दुष्प्रभाव। :- बॉलीवुड   से समाज में असलीलता  फैलती है। जिससे आज के युवा लड़के तथा लड़कियों पर बहुत ज्यादा असर करता हे। जिससे समाज में अश्लीलता को बडावा मिलता है। Bollywood अतः-- जैसे, छोटे कपडें , अश्लील-दृश्य, कटे-फटे कपड़े , जिससे युवाओंं पर अत्यधिक दुष्प्रभाव पड़ता है। 3. बॉलीवुड से हानि । :- बॉलीवुड से अत्यधिक समय तथा पैसों का खर्च होता हैं। जिससे घर में परेशानीया उत्पन्न होती हैं। आज का युवा अपना किम्मती समय फिल्म देखने में व्यर्थ कर लेते हे। हकीकत में तो मनुष्य जीवन राम-नाम के लिए मिला है। जो मानव व्यर्थ कर रहा है। 4. अनमोल मानव जीवन मनुष्य  अपना मानव जीवन समाज कि अन्य सांसारिक क्रियाओं में गवा देता है। तथा अपने मनुष्य को मानव जीवन सतभक्ति करने के लिए मिला हैं। परमात्मा कहते हे :- मनुष्य जन्म दुर्लभ हे । मिले न बारंबार । तरुतर से पता टुट गिरे , बहुर न लगता डार ।। भावार्थ

Advantages & Disadvantages of Mobile

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Advantages & Disadvantages of Mobile मोबाईल के फायदे:- आज के दोर मे मोबाईल फोन का हमारे जीवन मेंं एक अहम भूमिका हैं।  अमीर हो या गरीब सभी मोबाइल फोन से जुड़े हे। अभी किसी के पास मोबाइल ना हो यह ढूंढ पाना बहोत दुर्लभ हो गया है। इससे होने वाले लाभ और नुकसान से सभी परिचित है।  Benefits of mobile मोबाईल फोन के जरिये आप कही भी किसी समय किसीं से संपर्क कर सकते है। आप अपने मोबाईल फोन के कैमरा से फोटो या विडियो खींच सकते है। ज्यादातर मोबाइल फोन में कलेंडर,अलार्म घडी, केलकुलेटर,टाईमर और नोट बुक कि सुविधा है। अगर आप के साथ कोई दुर्घटना हो जाए तो आप एंबुलेंस या पुलिस को फोन कर सकते हे यह आपके व्यापार  को बढाने मे मदद कर सकता हे हम इंटरनेट के द्वारा पढाई भी कर सकते हे, किसी भी प्ररका का अगर हमारे मन मे सवाल हो तो इंटरनेट हमे उसका आंसर तुरंत दे सकता हे । हम इंंटरनेेेट के जरिए घर पर बेठे-बैैठे हि विदेशो के लोगो  से भी बातचीत कर सकतेे हे दुसरे देशो के बारे मेे जानकारी भी ले सकते हेे  इस  तरह ओर भी कई फायदे मोबाइल फोन के हो सकते हे अब जानेगे मोबाइल फोन से होने वाले न

Environmental: benefits

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Environmental benefits पर्यावरण रक्षा के लिए कई नियम भी बनाए गए हैं।  जैसे:- खुले में कचरा नहीं जलाने एवं प्रेशर हॉर्न नहीं बजाने का नियम है, परंतु इनका सम्मान नहीं किया जाता। हमें यह सोच भी बदलनी होगी कि नियम तो बनाए ही तोड़ने के लिए जाते हैं। पर्यावरणीय नियम का न्यायालय या पुलिस के डंडे के डर से नहीं बल्कि दिल से सम्मान करना होगा। सच पूछिए तो पर्यावरण की सुरक्षा से बढ़कर आज कोई पूजा नहीं है। Environmental प्रकृति:-का सम्मान ईश्वर के प्रति सच्ची श्रद्धा होगी कहा भी जाता है की प्रकृति भी ईश्वर है।  अगर आप सच्चे ईश्वर भक्त हैं तो भगवान की बनाई इस दुनिया कि हवा, पानी जंगल और जमीन को प्रदूषित होने से बचाएं वर्तमान संदर्भों में इससे बढ़कर कोई पूजा नहीं है। जरूरत हमें स्वयं सुधरने की है, साथ ही हमें अपनी आदतों में पर्यावरण की ख़ातिर बदलाव लाना होगा। याद रहे हम प्रकृति से हैं प्रकृति हम से नहीं। Environmental तमाम सख्ती व कोर्ट के आदेश के बावजूद राज्य में अनेक फैक्ट्रियां अवैध रूप से चलाई जा रही हैं। इनमें से हर रोज निकलने वाली खतरनाक रसायन व धुआं हव

Guru: Lord

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गुरु - गोविंद  गुरु यानी शिक्षक की महिमा अपार है। उसे शब्दों में बयां नहीं  किया जा सकता। वेद, पुराण, उपनिषद, गीता, कवि, सन्त, मुनि आदि सब गुरु की अपार महिमा का बखान करते हैं। शास्त्रों में ‘गु’ का अर्थ ‘अंधकार या मूल अज्ञान’ और ‘रू’ का अर्थ ‘उसका निरोधक’ बताया गया है, जिसका अर्थ ‘अंधकार से प्रकाश की ओर ले जाने वाला’ अर्थात अज्ञान को मिटाकर ज्ञान का मार्ग दिखाने वाला ‘गुरु’ होता है। गुरु को भगवान से भी बढ़कर दर्जा दिया गया है।  सन्त कबीर कहते हैं:- गुरु गोबिंद दोऊ खड़े, का के लागूं पाय। बलिहारी गुरु आपणे, गोबिंद दियो मिलाय।। अर्थात, गुरु और गोविन्द (भगवान) एक साथ खड़े हों तो किसे प्रणाम करना चाहिए, गुरु को अथवा गोबिन्द को ? ऐसी स्थिति में गुरु के श्रीचरणों में शीश झुकाना उत्तम है, जिनकी कृपा रूपी प्रसाद से गोविन्द का दर्शन करने का सौभाग्य प्राप्त हुआ  इसके साथ ही संत कबीर गुरु की अपार महिमा बतलाते हुए कहते हैं: सतगुरु सम कोई नहीं, सात दीप नौ खण्ड। तीन लोक न पाइये, अरु इकइस ब्रह्मणड।। अर्थात, सात द्वीप, नौ खण्ड, तीन लोक, इक्कीस ब्रहाण्डों में सद्गुरु के समान हितकारी आप किसी को

Janmashtami: Lord Krishna

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●क्या हरे कृष्णा जाप करने से मोक्ष संभव है ?  परमेश्वर कबीर साहिब जी कहते है-   कबीर, तीन गुणन की भक्ति मैं, भूलि, पड़यो संसार।।     कहै कबीर निज नाम बिन, कैसे उतरे पार।।।     निज नाम क्या हे, वास्तविक मंत्र क्या है।।? ●स्वयं श्री कृष्ण ने इंद्र की पूजा भी छुडवा़कर उस एक परमात्मा की भक्ति करने के लिए प्रेरणा दी थी। जिस कारण उन्होंने गोर्वधन पर्वत को उठाकर इंद्र के कोप से ब्रजवासियों की रक्षा की।  ●गीता ज्ञान दाता      ने अर्जुन को कहा कि तेरे दोनों हाथों में लड्डू हे। जबकि अर्जुन के हाथ महाभारत के बाद कुछ भी नहीं आया सिवाय करोड़ों लोगों को मारने के पाप के !        साफ हे कि पुर्ण संत की तलाश करो, गीता अध्याय 4 के श्लोक 34 के अनुसार ●यह अवधारणा की द्रोपदी की साडी कृष्णजी ने बढाई थी, एक अर्थ सत्य है !  सत्य तो यह है कि उस समय कृष्णजी रुकमणी के साथ चौसर खेल रहे थे !   ये सारा खेल कबीर भगवान ने किया ओर भक्ति कि लाज रखी द्रौपदी कि साडी बढा कर ! उस परमेश्वर कि जानकारी के लिए देखे साधना चेनल देखे 7.30से8.30तक प्रतिदिन कबीर साहेब जी कहते है मानुष जन्म दुर्लभ ह

Bible

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              Bible        मांस खाना महापाप हे सदना एक कसाई का नोकर था । प्रतिदिन 2 से 10 तक बकरे-बकरी, गाय-भैंसें काटता था। उसी से निर्वाह चल रहा था।एक दिन परमेश्वर एक मुसलमान फकीर जिन्दा बाबा के रूप में सदन कसाई को मिले। उसको भक्ति ज्ञान समझाया। जीव हिंसा से होने वाले पाप से परिचित कराया। सर्व ज्ञान समझकर सदन कसाई ने दीक्षा लेने की प्रबल इच्छा व्यक्त की। परमेश्वर जिन्दा ने कहा कि पहले यह कसाई का कार्य त्याग, तब दीक्षा दूँगा। सदना के सामने निर्वाह की समस्या थी। वह जिन्दा बाबा को बताई। जिन्दा ने कहा कि आप हिंसा कम कर दो। सदना ने कहा कि बाबाजी! मैं पक्का वादा (वचन) करता हूँ कि सौ पशुओं से अधिक नहीं काटूँगा, चाहे नौकरी भी क्यों न त्यागनी पड़़े। एक दिन नगर में कई विवाह थे। साथ में नवाब के लड़के का विवाह था। उस दिन पूरे सौ बकरे काटे। सदना ने अल्लाह का धन्यवाद किया। अपना वचन खण्ड होने से बाल-बाल बचा। सब औज़ार धोकर साफ करके रख दिए। रात्रि में सदना के मालिक के घर एक बड़ा व्यापारी आया जिसे बकरे चाहिए थे। वह सदना के मालिक के घर ही रूका। उसके खाने के लिए मालिक ने सदना को बुलाया तथा ए